बिलाईगढ़ : वट सावित्री पर्व व्रत रखकर महिलाओं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना…

Must Read
- Advertisement -
- Advertisement -

बिलाईगढ़ : वट सावित्री पर्व व्रत रखकर महिलाओं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना…

- Advertisement -

बिलाईगढ़ : नगर पंचायत पवनी में वट सावित्री पर्व इस वर्ष विशेष धूमधाम से मनाया गया, जिसमें महिलाओं ने पारंपरिक विधियों के साथ अपने पतियों की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना की। यह पर्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, जिसमें वे वट वृक्ष की पूजा करके सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण करती हैं।

वट सावित्री पर्व का महत्व : वट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लेकर उन्हें जीवनदान दिलवाया था, जिससे यह पर्व पतिव्रता धर्म और साहस का प्रतीक बन गया है।

नगर पंचायत पवनी में उत्सव का आयोजन : नगर पंचायत पवनी में इस पर्व को लेकर महिलाओं में विशेष उत्साह देखा गया। सुबह से ही महिलाएं विभिन्न वट वृक्षों के पास एकत्रित होने लगीं। उन्होंने वट वृक्ष की विधिवत पूजा की और कच्चे सूत से 12 बार परिक्रमा करके अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना की। इस अवसर पर महिलाएं पारंपरिक लाल-पीली साड़ियों में सजी-धजी नजर आईं।

पूजा विधि और परंपराएं : वट सावित्री व्रत की पूजा में महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण करती हैं। इसके बाद वे वट वृक्ष की 12 बार परिक्रमा करती हैं और कच्चे सूत से उसे बांधती हैं। कुछ महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जबकि कुछ हल्का आहार लेकर पूजा करती हैं। पूजा के बाद महिलाएं एक-दूसरे को शुभकामनाएं देती हैं और सामूहिक रूप से प्रसाद का वितरण करती हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण : वट सावित्री व्रत का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह महत्वपूर्ण है। वट वृक्ष के नीचे बैठने से मानसिक शांति मिलती है और यह तनाव को कम करने में सहायक होता है। इसके अलावा, यह व्रत महिलाओं में सामूहिकता और सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है।

सामूहिक उत्सव की झलकियां : नगर पंचायत पवनी में आयोजित इस पर्व में महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजा की और एक-दूसरे के साथ मिलकर इस पर्व की खुशियां मनाईं। स्थानीय मंदिरों और वट वृक्षों के पास महिलाओं की भीड़ उमड़ी रही। इस अवसर पर पारंपरिक गीतों और नृत्य का आयोजन भी किया गया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।

समाज में सकारात्मक प्रभाव : वट सावित्री व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों की ओर भी संकेत करता है। यह पर्व महिलाओं को उनके पतिव्रता धर्म और परिवार के प्रति जिम्मेदारियों की याद दिलाता है, साथ ही उन्हें सामाजिक एकता और सहयोग की भावना से भी जोड़ता है।

Latest News

बिलाईगढ़ : सेजेस पवनी में शाला प्रवेशोत्सव संपन्न, जनभागीदारी अध्यक्ष नंदकुमार साहू रहे उपस्थित…

बिलाईगढ़ : सेजेस पवनी में शाला प्रवेशोत्सव संपन्न, जनभागीदारी अध्यक्ष नंदकुमार साहू रहे उपस्थित... बिलाईगढ़ : सेजेस पवनी में वार्षिक...

More Articles Like This

error: Content is protected !!