रूपेश श्रीवास
बिलाईगढ़ : समीपस्थ ग्राम नगरदा में कीर्तन मंडली के सौजन्य से बजरंग चौक में चल रहे संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस की कथा में ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए भागवत प्रवक्ता कान्हा जी महाराज कोमना उड़ीसा वाले ने कहा कि ध्रुव को केवल साढे 5 वर्ष की अवस्था में परमात्मा की प्राप्ति हो गई। भगवान को पाने के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं है भगवान को बचपन, जवानी, बुढ़ापे में भी पाया जा सकता है। ध्रुव के जीवन में धीरज था। शबरी को भगवान की प्राप्ति के लिये 16 वर्षों से इंतजार करते-करते 80 वर्ष की अवस्था में भगवान राम की प्राप्ति हुई। जिसके जीवन में सबर होगा धीरज होगा वह भगवान को पाएगा परंतु आज हमारे जीवन में धीरज नहीं है, श्रद्धा विश्वास नहीं है, हम अलग अलग देवी देवता के उपासना करते हैं। एक प्रसन्न न हो तो दूसरा, दूसरा प्रसन्न न हो तो तीसरे की उपासना प्रारंभ कर देते हैं, पर एक के प्रति हम समर्पित नहीं हो सकते, हमारे जीवन में धैर्य की कमी है, हम तुरंत सभी सुख पाना चाहते हैं पर बिना इंतजार किए सुख रूपी फल की प्राप्ति नहीं हो सकती। इंसान आम का पेड़ लगाता है तो तुरंत उसे फल की प्राप्ति नहीं हो जाती। उसके लिए इंतजार करना पड़ता है।
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