भू सरंक्षण विभाग की गुणवत्ताहीन पचरी निर्माण पर विभागीय अधिकारी मेहरबान…

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गिरीश सोनवानी
देवभोग : गांव गांव में सार्वजानिक हित को मद्देनजर रखते हुए राज्य सरकार भू सरंक्षण विभाग के जरिए तालाबों में पचरी निर्माण के नाम पर लाखो रुपये पानी की तरह बहा रही है, लेकिन अधिकारी कर्मचारी गुणवत्ता और प्रावधान को दरकिनार कर पचरी निर्माण करते स्वीकृत लागत में अपनी कमाई के लिए रास्ता तैयार कर रहे है। मतलब लीपा पोती काम को अंजाम दे रहे हैं। जिस पर जिला के अधिकारी भी मेहरबान है, तभी स्तरहीन पचरी निर्माण पर आँख मूँदे है।

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जानकारी अनुसार पंचायतों के महिला पुरुष को सहूलियत पहुंचाने के लिए भू सरंक्षण विभाग द्वारा देवभोग ब्लॉक अंतर्गत 16 पंचायत के तालाबों में पचरी बनाया जा रहा है। इसके अलावा गरियाबंद ब्लॉक के 9 छोटे बड़े तालाबों पर पचरी निर्माण हो रहा है, जिसके लिए लंबी चौड़ी प्रावधान भी है, लेकिन विभाग पहले मिट्टी से तैयार पचरी पर साईड साईड पर ईट जोडाई कर बिना बेस काम के सीधा सीधा क्रेशर गिट्टी डालते प्लास्टर कर लीपा पोती काम को अंजाम दे रहे है। जिसे देख कई ग्रामीण और जनप्रतिनिधि पहली बरसात में ही बनाये पचरी को बहने की आशंका जता रहे है। सबसे मह्त्वपूर्ण बात तो यह है कि दोनों ब्लॉक के 24 पंचायत में 30 लाख राशि से स्वीकृत पचरी निर्माण को सिर्फ सर्वेयर के भरोसे कराया जा रहा है, जिन्हें ना टेक्निकल जानकारी होती है और ना गुणवत्ता का ख्याल रखते हैं। शायद यही वज़ह है कि पचरी निर्माण कार्य पर जमकर धांधली किया जा रहा है। जिससे लगभग जिला के जिम्मेदार अधिकारी भी अवगत है, टेक्निकल जानकारों की माने तो सबसे पहले मिट्टी की गहरी खुदाई होती है उसके बाद हाथ फोड़ गिट्टी और सीमेंट रेती के साथ बेस काम कराया जाता है। उसके बाद ही साफ़ सुथरी गिट्टी मशाला से पचरी निर्माण होता है, मगर यह प्रावधान का पालन किए बिना सीधा मटेरियल डाल दिया जाता है। इसके अलावा पानी की तराई में भी कांटामारी किया जा रहा है, ऐसे में ग्रामीण स्तरहीन पचरी का सालभर भी टिकना मुश्किल मानते हैं। तभी 30 लाख की पचरी में हज़ारों रुपये की बचत कर अपनी अपनी जेब भरने का आरोप अधिकारी कर्मचारी पर लग रहा है बावजूद इसके जिला के जिम्मेदार अधिकारी गहरी नींद से जागकर कार्यवाही करनें को तैयार नहीं हैं। शायद यही वज़ह है स्थानीय कर्मचारी को गुणवत्ताहीन कार्य के लिए बल मिला है, जिसका खामियाजा आने वाले दिनों में पंचायत के ग्रामीणों को भुगतान पड़ेगा क्योंकि जिस तरह पचरी निर्माण हुआ है। वह महज पहला बरसात तक टिकना मुश्किल है। जिसके मद्देनजर ग्रामीण अभी से निर्माण पचरी का ईस्तेमाल करने से कतरा रहे हैं।

पानी की तराई नहीं मजबूती पर सवाल : सेनदमुड़ा कोड़कीपारा उसरीपानी कोदोभाटा पूरनापानी सहित कई पंचायत पर पचरी निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन पानी की तराई नाम मात्र की तरह हुई है, बनने तक तो ठीक ठाक पानी दिया गया मगर तीसरे दिन से पानी की बूंद तक नहीं दिया। जबकि निर्माण कार्य में कार्य पानी की तराई मजबूती के लिए अहम भूमिका निभाती है। मगर निर्माण एजेंसी उस पर ही सबसे ज्यादा लापरवाही बरत रहे है।

अगर पचरी प्रावधान के विपरीत निर्माण हो रहा है तो जांच कर कार्यवाही किया जाएगा : नरसिंह ध्रुव एसडीओ गरियाबंद

ग्रामीणों ने गुणवत्ताहीन पचरी की शिकायत किया है जिसे लेकर मंत्री जी से शिकायत किया जाएगा : भविष्य प्रधान युवा ब्लॉक अध्यक्ष

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